असफलताओं की चुनौती स्वीकार करके आगे बढ़े:-डॉ.राजा धुर्वे
असफलताओं की चुनौती स्वीकार करके आगे बढ़े:-डॉ.राजा धुर्वे
मेडिटेक कैरियर इंस्टीट्यूट बैतुल के डायरेक्टर डॉ. राजा धुर्वे ने एमसीआई बैतुल में अध्ययनरत कक्षा 12 वी के बच्चों को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि प्रगति के रास्ते में कई बाधाएं आती हैं,उसमें पग-पग पर व्यवधान और अवरोध बिछे होते हैं। अवरोधों का ही दूसरा नाम असफलता है,उनका सृजन इसलिए हुआ है कि मनुष्य अपनी निष्ठा एवं तत्परता का परिचय दे सके, धैर्य और साहस के साथ निरंतर गति से प्रगति के पथ पर बढ़ता रहे। बड़े प्रयासों में बीच-बीच में सुधार एवं परिवर्तन भी आवश्यक होते हैं, इन्हीं को असफलता कह सकते हैं,हर असफलता से मनस्वी व्यक्ति सीखते हैं,भूलों को सुधारने के लिए हिम्मत, सूझबूझ और तत्परता से काम करने की प्रेरणा देने के लिए ही समस्याएं आती हैं,सरलतापूर्वक सफलता प्राप्त करने वालों की प्रतिभा उतनी नहीं निखरती जितनी कि असफलताओं से लड़ते हुए, व्यवधानों को कुचलते हुए चलने वालों की। सफलता का अपना उतना महत्व नहीं, जितना उस मंजिल को पार करते हुए प्रतिभा का विकास करने का है,सफलता की उपलब्धि क्षणिक प्रसन्नता देने के बाद विस्मृति के गर्त में जा गिरती है, फिर उसका कोई महत्व नहीं रह जाता,किन्तु उस प्रयास में जो श्रमशीलता जगाई गई थी,जागरूकता विकसित की गई थी और धैर्ययुक्त साहसिकता बढ़ाई गई थी, उससे उत्पन्न हुई प्रतिभा का लाभ चिरस्थायी ही बना रहेगा,असफलता न तो लज्जा की बात है और न दुखी होने की। कई बार सुयोग्य और पुरुषार्थी व्यक्ति परिस्थितिवश असफल होते देखे गए हैं। हर प्रयत्नशील को सफलता मिलेगी ही, इसकी कोई गारंटी नहीं,यदि कभी असफल होना पड़े तो इतना ही सोचना चाहिए कि अभी अधिक परिश्रम और मनोयोग के साथ प्रयासरत होने की आवश्यकता है,असफलता की चुनौती स्वीकार करके जो अधिक साहसपूर्वक आगे बढ़े हैं, उन्होंने अगली बार न केवल अधिक महत्वपूर्ण सफलता ही पाई, बल्कि प्रतिभा की प्रखरता का दोहरा लाभ भी लिया,एमसीआई बैतुल के डायरेक्टर डॉ.राजा धुर्वे ने कहा कि आप सभी भी अपने आसपास के बच्चों को मार्गदर्शन दे ताकि उनका उज्ज्वल भविष्य बन सकें--------
मेडिटेक कैरियर इंस्टीट्यूट बैतुल
असफलताओं की चुनौती स्वीकार करके आगे बढ़े:-डॉ.राजा धुर्वे
मेडिटेक कैरियर इंस्टीट्यूट बैतुल के डायरेक्टर डॉ. राजा धुर्वे ने एमसीआई बैतुल में अध्ययनरत कक्षा 12 वी के बच्चों को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि प्रगति के रास्ते में कई बाधाएं आती हैं,उसमें पग-पग पर व्यवधान और अवरोध बिछे होते हैं। अवरोधों का ही दूसरा नाम असफलता है,उनका सृजन इसलिए हुआ है कि मनुष्य अपनी निष्ठा एवं तत्परता का परिचय दे सके, धैर्य और साहस के साथ निरंतर गति से प्रगति के पथ पर बढ़ता रहे। बड़े प्रयासों में बीच-बीच में सुधार एवं परिवर्तन भी आवश्यक होते हैं, इन्हीं को असफलता कह सकते हैं,हर असफलता से मनस्वी व्यक्ति सीखते हैं,भूलों को सुधारने के लिए हिम्मत, सूझबूझ और तत्परता से काम करने की प्रेरणा देने के लिए ही समस्याएं आती हैं,सरलतापूर्वक सफलता प्राप्त करने वालों की प्रतिभा उतनी नहीं निखरती जितनी कि असफलताओं से लड़ते हुए, व्यवधानों को कुचलते हुए चलने वालों की। सफलता का अपना उतना महत्व नहीं, जितना उस मंजिल को पार करते हुए प्रतिभा का विकास करने का है,सफलता की उपलब्धि क्षणिक प्रसन्नता देने के बाद विस्मृति के गर्त में जा गिरती है, फिर उसका कोई महत्व नहीं रह जाता,किन्तु उस प्रयास में जो श्रमशीलता जगाई गई थी,जागरूकता विकसित की गई थी और धैर्ययुक्त साहसिकता बढ़ाई गई थी, उससे उत्पन्न हुई प्रतिभा का लाभ चिरस्थायी ही बना रहेगा,असफलता न तो लज्जा की बात है और न दुखी होने की। कई बार सुयोग्य और पुरुषार्थी व्यक्ति परिस्थितिवश असफल होते देखे गए हैं। हर प्रयत्नशील को सफलता मिलेगी ही, इसकी कोई गारंटी नहीं,यदि कभी असफल होना पड़े तो इतना ही सोचना चाहिए कि अभी अधिक परिश्रम और मनोयोग के साथ प्रयासरत होने की आवश्यकता है,असफलता की चुनौती स्वीकार करके जो अधिक साहसपूर्वक आगे बढ़े हैं, उन्होंने अगली बार न केवल अधिक महत्वपूर्ण सफलता ही पाई, बल्कि प्रतिभा की प्रखरता का दोहरा लाभ भी लिया,एमसीआई बैतुल के डायरेक्टर डॉ.राजा धुर्वे ने कहा कि आप सभी भी अपने आसपास के बच्चों को मार्गदर्शन दे ताकि उनका उज्ज्वल भविष्य बन सकें--------
मेडिटेक कैरियर इंस्टीट्यूट बैतुल
Very nice
ReplyDeleteVery nice line sir
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