सही लक्ष्य ,रणनीति,मेहनत,और आत्मविश्वास से सफलता संभव:-डॉ.राजा धुर्वे शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय भैंसदेही में ऐतिहासिक कैरियर मार्गदर्शन कार्यक्रम संपन्न:-
कहा जाता है की यदि किसी भी व्यक्ति ने यदि ठान लिया कि मझे अपने लिए ,अपने समाज और अपने जिले के लिए कुछ करना है ओर उसे सच साबित करने के लिए लगातार मेहनत करने लगे तो सफलता मिल ही जाती है यही काम मेडिटेक कैरियर इंस्टिट्यूट ने यह उपलब्धि विगत 4-5 वर्षों में करके दिखाया ,एमसीआई ने इतने कम समय में मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में शानदार परिणाम देकर यह साबित करके दिखाया कि जरूरी नही की आप महानगरों में पढ़कर ही बेहतर परिणाम दे सकते हो बल्कि अगर आप मे जज्बा हो तो छोटे छोटे शहरों में पढ़कर भी शानदार परिणाम दे सकते हो,यही कारण हैं कि आज वर्तमान में मेडिटेक कैरियर इंस्टीट्यूट की लोकप्रियता यहाँ के युवाओं में दिनों दिन रॉकेट की तरह बढ़ता जा रहा है एमसीआई ने अभी तक 4-5 वर्षों में हजारों स्कूलों में कैरियर मार्गदशन देने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है एवं इसके साथ साथ सामाजिक मंच और राजनीतिक मंच से भी लोगो को शिक्षा के लिए प्रेरित किया है, यही कारण है की आज हमारे बैतुल जिले में आज शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के परीक्षाओं में एमसीआई बेहतर परिणाम देने के लिए जाना जाता है ,इसका श्रेय हमारे जिले के एवम एमसीआई के डायरेक्टर कुशल नेतृत्व एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ.राजा धुर्वे एवम उनकी टीम के आशीष सर,नितेश धुर्वे ,ईश्वर सर,जगदीश सर,दिनेश सर,जेपी सर,शुभम सर, मुकेश धुर्वे,सोनू पांसे को दिया जाता है इस कैरियर मार्गदर्शन की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए एमसीआई ने भैंसदेही के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय में बच्चों एवं पालकों को आगे बढ़ने के लिये ओर भविष्य में बेहतर कैरियर में सफल होने के लिए मार्गदर्शन दिया ,इस प्रेरणा संवाद कैरियर मार्गदर्शन कार्यक्रम में बच्चों को मार्गदर्शन देते हुये एमसीआई के डायरेक्टर डॉ. राजा धुर्वे ने कहा कि यदि सही लक्ष्य, कड़ी मेहनत और आत्मविस्वास के साथ कैरियर का चुनाव हो तो सफलता मिल ही जाती है,एवँ इसके साथ ही कहा कि किसी भी स्टूडेंट्स या किसी भी व्यक्ति के सफलता में आत्मविश्वास,रुचि, योग्यता, प्रवीणता, परिश्रम,ये कुछ ऐसे शब्द हैं जो सफलता को निर्धारित करते हैं,हालांकि इन शब्दों का अलग-अलग भी काफी महत्व है, पर जब ये एक साथ मिल जाते हैं, तो व्यक्ति की सफलता सुनिश्चित होती है,मन लगाकर किया गया कोई भी काम व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाता है, जबकि बेमन और अरुचि से किया गया काम नकारात्मक परिणाम देता है,आप थोड़ी देर के लिए जरा अपने अतीत में झांकिए,ऐसे दो कार्यों को याद कीजिए, जिनमें से एक को आपने अपनी रुचि से किया हो और दूसरी को अरुचि से,परिणाम को याद कीजिए। आप पाएंगे कि रुचि के काम में आपको ज्यादा सफलता मिली,किसी काम में दिलचस्पी आपको वह ऊर्जा देती है, जिससे राह की तमाम मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं,रुचि के बाद सफलता के लिए जरूरी आधार है योग्यता,अपनी योग्यता और अपनी क्षमता को बढ़ाने की कोशिश कीजिए। इसके लिए योजना तैयार कीजिये,और संबंधित क्षेत्र में अपनी जानकारी दुरुस्त रखिए,योग्यता होने पर ही आप खुद को अव्वल बना सकते हैं,प्रतियोगिता के इस जमाने में सफलता इतनी आसान नहीं है। इसके लिए आपको प्रवीण बनना होगा, यानी आप खुद को इतना कुशल बनाएं कि बाकी लोगों से आगे निकल जाएं। यही प्रवीणता है,अपनी योग्यता में निखार लाकर आप खुद को प्रवीण बना सकते हैं,प्रत्येक व्यक्ति में कुछ-न-कुछ ऐसे गुण ज़रूर होते हैं, जो उसे खास और दूसरों से अलग बनाते हैं। पर जब लापरवाही के कारण आपको अपनी खासियत पर नजर नहीं जाती, तो वह गुण उभर कर सामने नहीं आ पाते,इसलिए अपनी रुचि को पहचानें और अपनी योग्यता को विकसित करें। फिर दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती,नि:संदेह मेहनत ही सफलता का मूलमंत्र है। रुचि के अनुरूप योग्यता तभी विकसित होगी, जब आप कठिन परिश्रम करेंगे। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपको अपना 100 प्रतिशत देना होगा, इसलिए खुद को पहचानें, अपने गुणों को परखें और फिर सुव्यवस्थित योजना के अनुसार काम करते हुए दुनिया को जीत लें,यही रणनीति आपको आपके लक्ष्य तक पहुचाने में मिल का पत्थर साबित होंगी,एमसीआई बैतुल के संगीत शिक्षक मुकेश धुर्वे ने बच्चों को संगीत की महत्ता को बताते हुए कहा की यदि कोई स्टूडेंट्स चाहे तो कक्षा 12 वी के बाद संगीत के क्षेत्र में भी अपना कैरियर बना सकतें हैं,उनको स्टूडेंट्स को देश की टॉप संगीत यूनिवर्सिटी के बारे में भी बताया,इसके साथ ही बच्चों के पढ़ना-लिखना सीख सकने में गीतों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर भी मार्गदर्शन दिया, किसी गीत में पिरोये वर्णों और शब्दों से बच्चे खेलते हैं,जीते हैं और उनसे अपनेपन का एक रिश्ता जोड़ लेते हैं,अगर भाषायी कौशलों सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना के विकास की बात करें तो गीत सहायक सिद्ध होते हैं,पढ़ना बल्कि यह कहें कि सीखने की पूरी प्रक्रिया बच्चों के लिए नीरस, थकाऊ और कष्टदायी न होकर रोचक, सरस और आनन्ददायी हो जाती है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम बच्चों के मन, उसकी इच्छा-आकांक्षा,सपनों, भावनाओं को समझें। हम यह जानने की कोशिश करें कि वह क्या चाहता है। हम उसको उस तरीके से पढाएँ जिस तरीके से वह पढ़ना चाहता है, न कि जिस तरीके से हम पढ़ाना चाहते हैं,भैंसदेही क्षेत्र के युवा समाजसेवी सोनू पांसे ने भी स्टूडेंट्स को स्टूडेंट्स रहते हुए हम लोगो की किस प्रकार सहयोग कर सकते है,किस प्रकार से समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ा सकतें हैं,एवँ प्रमुख रूप से ग्रामीण बच्चों को किस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ा सकें,इन विषयों पर मार्गदर्शन प्रदान किया है,कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्कृष्ट विद्यालय भैंसदेही के प्राचार्य आदरणीय श्री के.बी.एल खरे सर ने किया,श्री खरे सर ने एमसीआई टीम का धन्यवाद एवं आभार प्रेषित किया हैं---------
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