गांव गांव जाकर प्राथमिक शिक्षा को बेहतर करने हेतु मार्गदर्शन देंगे:-डॉ.राजा धुर्वे शाहपुर तहसील के ग्राम निशाना,ग्राम रायपुर के स्कूलों में दिया मार्गदर्शन-------------------------------------
एमसीआई बैतुल की टीम शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए लगातार ग्रामीण अंचलों में जाकर चाहें प्राथमिक, माध्यमिक या हाई स्कूलों या हायर सेकंडरी स्कूलों और कॉलेजों में जाकर स्टूडेंट्स को बेहतर भविष्य निर्माण हेतू मार्गदर्शन प्रदान कर रहा हैं, इसी कैरियर मार्गदर्शन की बेला को आगे बढ़ाते हुए एमसीआई टीम के डायरेक्टर डॉ. राजा धुर्वे,मुकेश धुर्वे एवँ सोनू पांसे ने शाहपुर तहसील के ग्राम निशाना के प्राथमिक स्कूल और ग्राम रायपुर प्राथमिक एवँ माध्यमिक स्कूल के बच्चों को मार्गदर्शन प्रदान किया,एवँ सभी नन्हे नन्हे बच्चों को बेहतर भविष्य निर्माण हेतु प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से बच्चों को मार्गदर्शन प्रदान किया हैं,एमसीआई बैतुल के डायरेक्टर डॉ.राजा धुर्वे ने कहा कि ग्रामीण हमारी टीम के द्वारा लगातार प्रयास किया है कि ग्रामीण अंचलों से बच्चों को बेहतर मार्गदर्शन देकर उन्हें सही प्लेटफॉर्म प्रदान करना ताकि वह एक सफल होकर अपने समाज और देश के विकास में सहयोग कर सकें,एवँ वर्तमान शिक्षा पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत की ज्यादातर आबादी आज भी गांवों में बसती है इसलिए भारत में ग्रामीण शिक्षा का विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है,भले ही ग्रामीण छात्रों के स्कूल जाने की संख्या बढ़ रही हो पर इनमें से आधे से ज्यादा छात्र दूसरी कक्षा तक की किताब पढ़ने में असमर्थ हैं और सरल गणितीय सवाल भी हल नहीं कर पाते। इतना ही नहीं गणित और पढ़ने का स्तर भी घटता जा रहा है। भले ही प्रयास किए जा रहे हों पर उनकी दिशा सही नहीं है। सर्वे में इसे लेकर जो कारण बताया गया है वो एक से ज्यादा ग्रेड के लिए एकल कक्षा की बढ़ती संख्या है,कुछ राज्यों में छात्रों और शिक्षकों की हाजिरी में भी कमी आ रही है। यह कुछ कारण हैं जिनकी वजह से भारत में ग्रामीण शिक्षा विफल रही है,शिक्षा की क्वालिटी और उसकी पहुँच भी ग्रामीण स्कूलों की चिंता का प्रमुख विषय है और वहां शिक्षकों की कम प्रतिबद्धता, स्कूलों में पाठ्य पुस्तकों की कमी और पढ़ने के सामान की कमी भी है,यूं तो सरकारी स्कूल हैं लेकिन निजी स्कूलों की तुलना में उनकी गुणवत्ता एक प्रमुख मुद्दा है,गांवों में रहने वाले ज्यादातर लोग शिक्षा की महत्ता को समझ चुके हैं और यह भी जानते हैं कि गरीबी से निकलने का यही एक रास्ता है,लेकिन पैसों की कमी के कारण वे लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में नहीं भेज पाते और शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों पर निर्भर रहते हैं। इस सबके अलावा कुछ सरकारी स्कूलों में पूरे स्कूल के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक होता है और यदि वह भी काम पर ना आए तो स्कूल की छुट्टी रहती है,यदि इन स्कूलों में क्वालिटी के साथ साथ शिक्षकों की संख्या, वो भी प्रतिबद्ध शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए तो इच्छुक ग्रामीण बच्चे और भारत देश कुछ महान काम करके अपने सपनों को साकार कर सकता है-----------------------
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